असगंध, सफेद मूसली, काली मूसली, कौंच के बीज, शतावर, ताल मखाना, बीजबंद, जायफल, जावित्री, ईसबगोल, नागकेशर, सोंठ, गोल मिर्च, लौंग, पीपर कमलगट्टे की गिरी, छुहारे, मुनक्का, चिरोंजी सब 50-50 ग्राम, मिश्री सवा दो किलो, घी 400 ग्राम।
बनाने की विधि- मिश्री और घी को छोड़कर शेष सारी औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर कपड़े से छान लें। सबको मिलाकर घी में भून लें।अब मिश्री की पतली चाशनी बनाकर उतार लें और सारी दवा इसमें डालकर अच्छी तरह मिलाकर उपर सोने व चांदी का वर्क मिला दें।
सेवन विधि - 10 से 20 ग्राम इस योग को चाटकर उपर से एक गिलास गरमागरम दूध पी जाएं।
लाभ -सर्दियों में कुछ दिन इसका लगातार सेवन करते रहने से नपुंसकता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है। शरीर बलवान बन जाता है।इसके अलावा पेशाब में जलन, पथरी और वात रोग भी इसके लगातार सेवन से मिट जाते हैं।
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बनाने की विधि- मिश्री और घी को छोड़कर शेष सारी औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर कपड़े से छान लें। सबको मिलाकर घी में भून लें।अब मिश्री की पतली चाशनी बनाकर उतार लें और सारी दवा इसमें डालकर अच्छी तरह मिलाकर उपर सोने व चांदी का वर्क मिला दें।
सेवन विधि - 10 से 20 ग्राम इस योग को चाटकर उपर से एक गिलास गरमागरम दूध पी जाएं।
लाभ -सर्दियों में कुछ दिन इसका लगातार सेवन करते रहने से नपुंसकता दूर होती है। वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है। शरीर बलवान बन जाता है।इसके अलावा पेशाब में जलन, पथरी और वात रोग भी इसके लगातार सेवन से मिट जाते हैं।